Sunday 16 July 2017

सेना पर कुछ दोहे

सावन में फिर आ गई, काँवडियों की मौज।
घूम रहे हैं बन सभी, बम भोले की फौज।।1।।
--
बानर सेना साथ ले, लंका पहुँचे राम।
किया आसुरी शक्ति का, प्रभु ने काम तमाम।।2।।
--
आई भँवरों की चमू, करने पान पराग।
कली-कली से कर रही, देख व्यक्त अनुराग।।3।।
--
सेना अपने राष्ट्र की, देती नित बलिदान।
इसके कारण विश्व में, है भारत की शान।।4।।
--
दुर्गम दुर्ग पहाड़ का, देती सीना चीर।
सेना के बलिदान से, देश रहे बेपीर।।5।।


***** डाॅ. बिपिन पाण्डेय

No comments:

Post a Comment

छंद सार (मुक्तक)

  अलग-अलग ये भेद मंत्रणा, सच्चे कुछ उन्मादी। राय जरूरी देने अपनी, जुटे हुए हैं खादी। किसे चुने जन-मत आक्रोशित, दिखा रहे अंगूठा, दर्द ...