Sunday 26 February 2017

एक गीत - किस्से कहानी के



पुराने
दिन कभी इस पेड़ के भी,
थे जवानी के।


बसंती किसलयों ने थे,
दिए हँसकर मृदुल गहने,
लजीली फूँल गंधों संग,
हवाएँ थी लगी बहने।


यहीं पर,
खेलता था खेल सावन,
धूप पानी के।


सवेरे व्योम पाँखी,
डाल पत्ती पर उतरते थे,
दिशाओं में मधुर संगीत,
के सरगम सँवरते थे।


यहीं पर,
दीप जलते मंत्र पढ़ते,
माँ भवानी के।


समय गुज़रा कि दिन बदले,
हवा बदली झरे पत्ते,
हुई कंकाल देही पर,
हवाओं के वही रस्ते।


हुए बस,
फूल फल तन पात्र अब,

किस्से कहानी के।

*** बृजनाथ श्रीवास्तव

No comments:

Post a Comment

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...