Monday 2 January 2017

नववर्ष पर दो रोला छंद


(1)

बदले देश समाज, करें सब पूरे सपने।
बनें सभी सरताज, चलें पर बनकर अपने।
मिटे भूख आतंक, ख़ुशी हो ग़म पर भारी।
नए वर्ष में रोज़, दिखे दुनिया अति न्यारी ।।


(2)


मिटे हृदय से द्वेष, बढ़े नित भाई -चारा।
नए साल में एक, यही पैगाम हमारा।
सब हों मालामाल, मुसीबत दूर भगाए।
आने वाला साल, ख़ुशी सब लेकर आए।।


***** डाॅ. बिपिन पाण्डेय

No comments:

Post a Comment

प्रस्फुटन शेष अभी - एक गीत

  शून्य वृन्त पर मुकुल प्रस्फुटन शेष अभी। किसलय सद्योजात पल्लवन शेष अभी। ओढ़ ओढ़नी हीरक कणिका जड़ी हुई। बीच-बीच मुक्ताफल मणिका पड़ी हुई...