Sunday 24 July 2016

एक रचना - उदास मत करना


दिल को यूँ ही उदास मत करना।
किसी से कोई आस मत करना। 


ज़मीर से सच नहीं छिपा करता।
झूठ से जीत की आस मत करना।


फ़रेब फ़ितरत है इन बहारों की।
यक़ीन इनका ख़ास मत करना। 


क़त्ल ईमान का अगर ज़रूरी हो।
दिल के आस पास मत करना।


ज़िन्दगी बहते लम्हों का दरिया है।
किनारे से कोई क़यास मत करना।


*** संजीव जैन

6 comments:

  1. आलोक ,मध्यप्रदेशSunday, July 24, 2016

    संजीव सर ,बहुत गहराई हैं आपकी कविता मॆ.

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    1. सादर आभार आदरणीय आलोक जी.

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  2. सुंदर भावो की अनुपम प्रस्तुति

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  3. सादर आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी. सादर नमन

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  4. सुंदर जीवन दर्शन , सादर बधाई आदर्णीय संजीव सर जी , आदर्णीय सपन सर जी बेहतरीन ब्लोग हेतु हार्दिक बधाई |

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    1. सादर आभार आपका आदरणीया.

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