Sunday 6 March 2016

महादेव पर कुण्डलिया


शंकर नारी वेश में, नाचे केशव संग
मदमाती धरती खिली, बाजे खूब मृदंग

बाजे खूब मृदंग, देव सब ख़ुशी मनाएं
महादेव का नृत्य, देख केशव हर्शायें
 

लक्ष्मण भोले-नाथ, नाचते नारी बनकर
दे सबको वरदान, सदा ही भोले शंकर


भोले शंकर आपने, किया गरल का पान
रुद्र रूप में आप ही, आये बन हनुमान
आये बन हनुमान, जिन्हें सब व्यथा सुनाये
आप जटा में थाम, धरा पर गंगा लाये
लक्ष्मण शिव के नृत्य, भेद न कोई खोले
रहे हिमालय धाम, कहाते शंकर भोले


*** लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

No comments:

Post a Comment

प्रस्फुटन शेष अभी - एक गीत

  शून्य वृन्त पर मुकुल प्रस्फुटन शेष अभी। किसलय सद्योजात पल्लवन शेष अभी। ओढ़ ओढ़नी हीरक कणिका जड़ी हुई। बीच-बीच मुक्ताफल मणिका पड़ी हुई...