Sunday 16 August 2015

पाँच दोहे


बही जा रही है हवा, मेघों को ले साथ।
किस बंजर पर खुश हुए, बाबा भोलेनाथ।।1।।


बहती पागल सी पवन, लाती क्या-क्या बीन।
खुशियाँ लाती है कभी, कभी जिंदगी छीन।।2।।

 
मस्त हवा ने छेड़ दी, प्यारी सी इक तान।
सुनकर सावन का मधुर, प्यार भरा आव्हान।।3।। 


त्याग और बलिदान की, लेकर गंध समीर।
गुजरी है जिस द्वार से, दिखे वहीं नम चीर।।4।। 


वीरों को करती पवन, शत-शत आज प्रणाम।
नस-नस में जिनकी बहा, सदा वतन का नाम।।5।। 


~ फणीन्द्र कुमार ‘भगत’

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