Sunday 31 August 2014

पाँच कह मुकरिया

सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला 
के साहित्यिक मंच पर 
मज़मून 17 में चयनित 
सर्वश्रेष्ठ रचना

1
 
उनका आना मंगलकारी,
काया उनकी सबसे न्यारी,
देते मुझको वो सुख सम्पति,
क्या सखि साजन ? नहिं सखि ‘गणपति’ !!

2

राह तकूँ कब होगी आवन,
आकर कर दें मुझको पावन,
वो सब देते सुख अरु सन्मति
क्या सखि साजन ? नहिं सखि ‘गणपति’ !!

3

मैं जब याद करूँ वो आते,
मोदक बड़े चाव से खाते,
उनके लिये अधीर हुआ मन,
क्या सखि साजन ? नहीं “गजानन’ !!

4

वो मुझसे मिलने हैं आते,
संतापों को दूर भगाते,
उनको सब अर्पण तन मन धन,
क्या सखि साजन ? नहीं “गजानन’ !!

5

वो मेरे दिल में है रहता
मेरे विघ्न हरण वह करता,
मुझपर लगा उसी का ठप्पा,
क्या सखि साजन ? “गणपति बप्पा’ !!
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***हरिओम श्रीवास्तव***

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