Tuesday 25 March 2014

एक क्षणिका

पूरी ज़िन्दगी बिता दी उसने,
मुख़्तसर मुलाक़ात की ख्व़ाहिश में,
मुलाक़ात की घड़ियाँ ख़त्म हो ही गईं आख़िर,
पर वो आख़िरत की रात थी,
के अब फिर कभी मुलाक़ात न होगी.
====================== सपन

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...