फिर चले जाना
चले आओ आकर फिर चले जाना,
क़रीब आओ छूकर फिर चले जाना ।है मौसम आर्ज़ू का ये तो मत भूलो,
तमन्ना है जिधर फिर चले जाना ।ये कैसी आग है जो दिल में लगती है,
शोला-ए-दिल बुझाकर फिर चले जाना।यक़ीं न होगा उनको तुम न आओगे,
ज़रा सा देख इधर फिर चले जाना ।है कितना सब्र मुझको कैसे बतालाऊँ ?
चुभो के दिल में नश्तर फिर चले जाना।रहेगा राज़ सदा ही ‘सपन’ के सीने में,
प्यार तुमसे है कहकर फिर चले जाना ।विश्वजीत 'सपन'